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Department Enquiry After Retirement: गुजरात हाई कोर्ट का बड़ा फैसला

गुजरात हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि सरकारी कर्मचारी की सेवानिवृति के बाद उसके खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती. 

Govt Employees Corner: रिटायरमेंट के बाद सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ की जाने वाली विभागीय कार्यवाही को लेकर गुजरात हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि सरकारी कर्मचारी के रिटायर होने के बाद सरकारी विभाग उसके खिलाफ ना तो कोई विभागीय कार्यवाही शुरू कर सकता है और ना ही किसी कथित अनियमितता के लिए उसके खिलाफ आरोपपत्र जारी कर सकता है हाईकोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि सरकारी विभाग किसी भी सरकारी कर्मचारी को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति से भी नहीं रोक सकता है. 
शुक्रवार 10 जून 2022 को एक मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया. हाई कोर्ट ने यह फैसला हेमचंद्राचार्य उत्तर गुजरात विश्वविद्यालय द्वारा अपने इंजीनियर के खिलाफ विभागीय कार्यवाही के मामले की सुनवाई करते हुए सुनाया. 

जानिए क्या है मामला: 


उत्तर गुजरात विश्वविद्यालय के इंजीनियर भूपेंद्र पटेल के खिलाफ अनियमितता को लेकर विश्वविद्यालय के द्वारा विभागीय कार्यवाही करने की प्रक्रिया शुरू की थी. इससे पहले कि कथित अनियमितता को लेकर उनके खिलाफ कार्यवाही शुरू की जाती उन्होंने सरकारी नौकरी से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी सेवा के 20 साल पूरे होने के बाद भूपेंद्र पटेल ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का विकल्प चुना और उन्होंने अक्टूबर 2013 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का आवेदन विश्वविद्यालय को जमा किया लेकिन विश्वविद्यालय के द्वारा उनके आवेदन पर कोई कार्यवाही नहीं की गई. और जनवरी 2014 में भूपेंद्र पटेल सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त हो गया. सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त होने के 21 महीने के बाद विश्वविद्यालय ने सितंबर 2015 में उनके खिलाफ यह के आरोप पत्र जारी किया और उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू करने की मांग की. इसके साथ ही विश्वविद्यालय के कार्यकारी परिषद ने 2017 में उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही करने का फैसला किया. मामला उच्च न्यायालय में पहुंचा और उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि एक सेवानिवृत्त कर्मचारी के खिलाफ विभागीय जांच शुरू नहीं की जा सकती है. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा क्योंकि विश्वविद्यालय ने उनके इस्तीफे को स्वीकार या अस्वीकार नहीं किया था इसलिए उन्हें गुजरात सिविल सेवा पेंशन नियम 2002 के नियम 48 के अनुसार 2014 में ही सेवानिवृत्त माना जाए ऐसे में उनकी सेवानिवृत्ति के बाद कोई भी विभागीय जांच नियमों के खिलाफ होगी. 

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि विश्वविद्यालय अपनी जांच रिपोर्ट के निष्कर्षों के आधार पर पटेल के खिलाफ कोई भी उचित कार्यवाही शुरू कर सकता है.

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